वो मेरी आज थोड़ी सी बुराई करने वाला है।
मेरा माशूक मुझसे बेवफ़ाई करने वाला है॥
मेरे दिल के मदरसे में पढ़ाई करने वाला है,
वो काफ़िर आज काबे मे रसाई करने वाला है॥
हमें इन हिचकियों से इस तरह महसूस होता है,
तेरी यादों का लश्कर फिर चढ़ाई करने वाला है॥
न मैं युसुफ़ न औरंगज़ेब आलमगीर हूँ फिर भी,
दग़ा क्यूँ मुझसे आख़िर मेरा भाई करने वाला है॥
चलो ऐ दिल के बीमारों सुना है कोई चारागर,
मुहब्बत के मरीज़ो की दवाई करने वाला है।
ज़लालत, भीक का उसको निवाला पच नहीं सकता,
वो है मज़दूर मेहनत की कमाई करने वाला है॥
राकेश “सूफी”
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