आज पर्व दिवाली है।
हर घर मे खुशहाली है?
दीप जले हर एक जगह,
बस दिल कोना खाली है॥
यारों खाओ खूब मिठाई,
सब नक़ली सब जाली है॥
चाक़ जिगर फूलों का करके,
अब कितना खुश माली है॥
गाँव सभी वीरान पड़े,
शहरों मे हरियाली है॥
सस्ता है इंसान यहाँ,
मंहगा लोटा थाली है॥
राकेश”सूफी”
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